छोटी जेल
`पापा जेल किसे कहते हैं?´ सातवीं कक्षा के विद्यार्थी दीपक ने पूछा। दीपक के पापा ने समझाया, “बेटे, जो व्यक्ति अपराध करते हैं, उन्हें पकड़कर जेल में डाल दिया जाता है। वे जेल से बाहर नहीं आ सकते घूम-फिर नहीं सकते। जेल के अधिकारियों की मार खानी पड़ती है। अधिकारी जो कार्य बताते हैं वही करना पड़ता है।´´
`पापा मैं समझ गया। जेल हमारे स्कूल की तरह होती होगी। हमारे स्कूल में भी तो सुबह सात बजे से शायं पाँच बजे तक बन्द कर दिया जाता है हमें। मास्टरजी सुबह ग्रुप में पढ़ाते हैं, उसके बाद स्कूल लगता है, शायं को फिर ग्रुप में पढ़ाते हैं। उनके मन में जो आता है, काम बता देते हैं, भले ही हमारी समझ में न आया हो।
जब हम नहीं सुना पाते तो मास्टर जी की मार खानी पड़ती है। स्कूल के गेट पर ताला लगाकर गेटमैन बैठा होता है। ठीक इसी प्रकार बड़ो की जेल होती होगी। बड़ो की बड़ी जेल व बच्चों की छोटी जेल यानी स्कूल किंतु वहाँ ग्रुप फीस व ट्युशन फीस तो नहीं देनी पड़ती पापा।´´ दीपक के पापा को कोई उत्तर नहीं सूझ रहा था।
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